अकेलापन डिप्रेशन और चिंता को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है।
एक्सेटर विश्वविद्यालय और किंग्स कॉलेज लंदन के नेतृत्व में 50 से अधिक आयु के 3,000 से ज्यादा लोगों पर हुए इस अध्ययन में देखा गया कि कैसे कोरोना लॉकडाउन ने अकेलेपन को बढ़ाकर डिप्रेशन और चिंता के लक्षणों को बिगाड़ दिया था।
खोजकर्ताओं के अनुसार वैसे तो कोरोना महामारी, अकेलापन और फिजिकल एक्टिविटी बुजुर्गों के लिए पहले भी एक समस्या थी, लेकिन COVID-19 के प्रतिबंधों ने 50 से ज्यादा उम्र के लोगों की सेहत को और खराब किया।
कोरोना आने से पहले और बाद के मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों की तुलना करने पर पता चला कि लॉकडाउन के दौरान, अकेलापन और कम शारीरिक गतिविधि अधिक खराब मानसिक स्वास्थ्य, विशेष रूप से अवसाद से जुड़े हुए थे।
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महिलाओं और रिटायर लोगों में भी ऐसे लक्षण देखे गए। लेकिन उन लोगों में जो अकेले नहीं थे, डिप्रेशन के लक्षणों का स्तर अप्रभावित था।
शोधकर्ताओं ने माना कि कोरोना प्रतिबंधों से शारीरिक व्यायाम में आई गिरावट का अकेलेपन और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के बीच संबंध था।
इससे बचने के लिए लोगों को सामाजिक रूप से व्यस्त और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के तरीके ढूंढने चाहिए।
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