सभी देशों के नागरिक कोरोना महामारी (covid-19 pandemic) का प्रकोप झेलने के बाद इसके संक्रमण को रोकने वाले टीकाकरण (vaccination) से बहुत उम्मीद लगाए बैठे है। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि फेस मास्क और सामाजिक दूरी की जरूरत को भविष्य में भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। खास कर जब तक लोगों में हर्ड इम्युनिटी (herd immunity) नहीं आती। महामारी विशेषज्ञों के अनुसार – भीड़ से बचना, मास्क लगाना और टीकाकरण – यही तीन उपाय हमें कोरोना वायरस से बचा सकते है। ऐसा कहने के पीछे उनके तर्क इस प्रकार है:
कोई भी वैक्सीन 100% प्रभावी नहीं बड़े चिकित्सीय परीक्षणों में टीकों की दो खुराक कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारियों को प्रभावी रूप से रोकती हैं। हालांकि परिणाम आशाजनक है फिर भी 20 में से 1 इंसान असुरक्षित हो जाता है। चिकित्सीय परीक्षणों में टीके को शीर्ष चिकित्सा केंद्रों पर अत्याधुनिक स्थितियों में टेस्ट किया जाता है। वास्तविक दुनिया में, आमतौर पर टीके थोड़े कम प्रभावी होते है।
वैक्सीन रखने के तरीके गड़बड़ा सकते है COVID-19 टीकों की प्रभावशीलता उनके रख-रखाव के तरीके से प्रभावित हो सकती है। mRNA टीकों में प्रयुक्त जेनेटिक मटेरियल कोरोनवायरस के मैसेंजर RNA से बनाई गई होती है जो बहुत नाजुक है। इसलिए इसे सावधानी से संग्रहीत और परिवहन किया जाना चाहिए। लेकिन WHO के अनुसार, भंडारण तापमान को ठीक से नियंत्रित करने में विफलता के कारण पूरे विश्व में बांटी जाने वाली वैक्सीन में से आधी का खराब होना तय है।
वैक्सीन वायरस फैलाने से नहीं रोकती टीके सुरक्षा के दो स्तर प्रदान कर सकते हैं। एक वायरस को संक्रमण पैदा करने से रोकना और दूसरा लोगों को बीमार होने से रोकना। लेकिन कुछ टीके संक्रमित होने या वायरस को दूसरों तक फैलाने से नहीं रोकते। कोरोना टीके स्पष्ट रूप से बीमारी को रोकते है लेकिन शोधकर्ताओं को यह पता लगाने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है कि क्या वे इसे फैलाने से भी रोकते है। दूसरे शब्दों में, एक टीका लगाया हुआ व्यक्ति अभी भी वायरस फैलाने में सक्षम हो सकता है, भले ही वे स्वयं बीमार महसूस न करें। इसलिए मास्क पहनना टीका लगने वालों के लिए उनके आसपास रहने वालों की सुरक्षा का सबसे सुरक्षित तरीका है।
टीके तत्काल सुरक्षा प्रदान नहीं करते प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरल संक्रमण को रोकने वाले एंटीबॉडी बनाने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं। कोरोना संक्रमण रोकने वाले टीके फ्लू के शॉट जैसे अन्य टीकाकरणों की तुलना में थोड़ा अधिक समय लेते है, क्योंकि इन उत्पादों की दो खुराक की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, पहले शॉट के पांच या छह सप्ताह बाद तक पूर्ण सुरक्षा नहीं मिलेगी। इसलिए, जनवरी के शुरु में टीका लगाया गया व्यक्ति मार्च के पहले हफ्ते तक ही पूरी तरह सुरक्षित होगा।
एलर्जी वाले को टीका नहीं लगा सकते जबकि एलर्जी वाले अधिकांश लोग सुरक्षित रूप से कोरोना टीके ले सकते हैं, डॉक्टर और वैज्ञानिक उन लोगों को न देने की सलाह देते हैं जिन्हे वैक्सीन में मौजूद पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल जैसी सामग्री से गंभीर एलर्जी होती है। वे उन लोगों को भी दूसरी खुराक न लेने की चेतावनी देते हैं जिन्हें पहले टीके के बाद खतरनाक एलर्जी हुई हो।
मास्क कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए जरूरी कैंसर से पीड़ित लोगों को कोरोना से विशेष खतरा होता है। अध्ययन बताते हैं कि ऐसे लोग वायरस से संक्रमित होने और मरने की अधिक संभावना रखते है। फेफड़े के कैंसर वाले लोग निमोनिया से लड़ने में कम सक्षम होते है, जबकि कीमोथेरेपी या रेडिएशन ट्रीटमेंट से गुजरने वालों में इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ल्यूकेमिया और लिम्फोमा प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर सीधे हमला करते हैं, जिससे मरीजों को वायरस से लड़ने में मुश्किल होती है। डॉक्टरों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है कि कमजोर इम्युनिटी वाले लोग टीकों से कैसे प्रभावित होंगे, क्योंकि उन्हें क्लीनिकल परीक्षणों से बाहर रखा गया था।
मास्क कोरोनोवायरस के किसी भी स्ट्रेन से बचाता है वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोनावायरस के नए जेनेटिक वेरिएंट के बारे में बेहद चिंतित है। अभी तक यह मूल कोरोना वायरस से कम से कम 50% अधिक संक्रामक प्रतीत होते है। हालांकि अभी तक के अध्ययन बताते हैं कि कोरोना वैक्सीन अभी भी इन नए स्ट्रेंस के खिलाफ काम करेंगी।