एक अध्ययन के अनुसार, लोगों में संक्रमण फैलाने वाला SARS-CoV-2 (COVID-19 वायरस) भविष्य में हल्का सर्दी-जुकाम करने वाला विषाणु बन जायेगा, अगर अधिकांश लोग इससे बचपन में ही संक्रमित हो जाते है।
साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार तब यह वायरस नियमित रूप से खास लोगों या क्षेत्र में ही पाया जाएगा।
वैज्ञानिकों का यह निष्कर्ष सर्दी-जुकाम फैलाने वाले चार सामान्य कोरोनावायरस और SARS-CoV-1 के शोध पर आधारित है।
प्रतिरक्षा और महामारी विज्ञान के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि सामान्य सर्दी-जुकाम करने वाले कोरोनावायरस (Coronavirus) पिछले लंबे समय से लोगों को संक्रमित कर रहे है और लगभग हर व्यक्ति कम आयु में ही उनसे संक्रमित हो चुका है।
- Advertisement -
उनका विचार है कि बचपन में हुआ संक्रमण इम्युनिटी बढ़ाकर बाद में लोगों को गंभीर बीमारी से तो बचाता है, लेकिन यह समय-समय पर होने वाले संक्रमण को नहीं रोकता है।
कोरोनावायरस बचपन की बीमारी बन सकता है
शोध से पता चलता है कि SARS-CoV-2 बचपन की बीमारी बन सकता है, जहां पहला संक्रमण 3 से 5 साल के बीच होता है और उसके बाद यह बीमारी अपने आप ही हल्की हो जाएगी।
शोधकर्ताओं के अनुसार, बुजुर्ग अभी भी संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन उनके बचपन में हुए संक्रमण उन्हें गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करेंगे।
यह बदलाव कितनी तेजी से आता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि वायरस और कितनी तेजी से फैलता है और SARS-CoV-2 के टीके किस तरह की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया करते है।
- Advertisement -
वैक्सीन की ज्यादा जरुरत नहीं होगी
मॉडल से पता चलता है कि अगर टीके दोबारा होने वाले संक्रमण के खिलाफ अल्पकालिक सुरक्षा देते हैं लेकिन बीमारी की गंभीरता को कम करते हैं, जैसा कि पिछले व्याप्त कोरोनावायरस के साथ होता है तो SARS-CoV-2 अधिक तेज़ी से एक सामान्य बीमारी बन सकता है।
वैज्ञानिकों का अध्ययन बताता है कि SARS-CoV-2 वायरस की स्थिति सामान्य स्तर तक पहुँचने के बाद इसका संक्रमण फैलाने वाला घातक अनुपात मौसमी इन्फ्लूएंजा (0.1 प्रतिशत) से भी नीचे गिर सकता है।
उस स्थिति में वैक्सीन की इतनी ज्यादा और व्यापक पैमाने पर जरुरत नहीं होगी।
लेकिन तब तक, शोधकर्ताओं के अनुसार, इस महामारी को समाप्त करने के लिए अधिकतम प्रयास किया जाना चाहिए।
इसके लिए COVID-19 के खिलाफ बनी एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन पहले या दूसरे साल तक सैकड़ों लोगों की जान बचा सकती है। लेकिन निरंतर सामूहिक टीकाकरण तभी कम महत्वपूर्ण हो सकता है जब SARS-CoV-2 एंडेमिक हो जाए।
शोधकर्ताओं ने यह भी नोट किया कि यदि इस विषाणु के स्थानिक होने पर बच्चों के प्राथमिक संक्रमण हल्के होते है तो व्यापक टीकाकरण आवश्यक नहीं होगा।
हालांकि, अगर बच्चों में प्राथमिक संक्रमण गंभीर हो, जैसे कि MERS जैसे कोरोनावायरस में होते है, तो बचपन के टीकाकरण को जारी रखा जाना चाहिए।
ALSO READ: WHO की चेतावनी: वैक्सीन से भी नहीं मिलेगी हर्ड इम्युनिटी