अदरक का इस्तेमाल मसाले और चिकित्सा के रूप में जग जाहिर है। इसे जलन, दर्द और सूजन कम करने के अलावा एंटी-ऑक्सीडेटिव प्रभाव के लिए भी जाना जाता है।
अब मिशिगन मेडिसिन के अध्ययन में अदरक की जड़ में पाए जाने वाले मुख्य बायोएक्टिव कंपाउंड, 6-जिंजरॉल (6-gingerol) से चूहों में कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों को कम करने का दावा किया गया है।
स्वप्रतिरक्षित रोग (Autoimmune diseases) ऐसे रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) अपने ही हेल्दी सेल्स पर हमला कर देती है।
शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से लुपस (lupus) बीमारी और इससे जुड़ी हुई स्थिति एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम (antiphospholipid syndrome), जो रक्त के थक्कों का कारण बनती है, की जाँच की। दोनों से ही पूरे शरीर में सूजन आती है और अंगों को नुकसान होता है।
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एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम या ल्यूपस से ग्रस्त चूहों को जब 6-जिंजरोल दिया गया तो इसने ऑटोइम्यून बीमारियों को बढ़ाने वाले न्युट्रोफिल एक्स्ट्रासेलुलर ट्रैप (NET) को रोक दिया।
अध्ययन का सवाल था, “क्या अदरक के शरीर की अंदरूनी सूजन को रोकने वाले गुण, न्यूट्रोफिल को एनईटी बनाने से रोक सकते है, जो बीमारी की प्रगति में योगदान करती है?”
शोधकर्ताओं ने पाया कि 6-जिंजरॉल देने के बाद, चूहों में एनईटी का स्तर कम था।
यही नहीं, 6-जिंजरॉल से थक्के बनाने की क्रिया भी काफी कम हो गई थी और अदरक के इस कंपाउंड में फॉस्फोडिएस्टरिस (phosphodiesterases) नामक न्यूट्रोफिल एंजाइम को रोक भी दिया।
लेकिन सभी का सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि चूहों ने एनईटी बनाने वाली ऑटो एंटीबॉडी के दुष्चक्र को तोड़ दिया था।
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अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि अदरक के बायोएक्टिव यौगिक 6-जिंजरोल में एंटी-न्यूट्रोफिल गुण होते हैं, जो ऑटोइम्यून रोग की प्रगति को रोक सकते है। इससे दवाइयों की जगह एक हर्बल सप्लीमेंट को बढ़ावा भी मिलेगा।