अगर आप भी सोचते है कि बिना सोशल डिस्टेंसिंग के सिर्फ फेस मास्क पहन लेने से ही COVID-19 के प्रसार को रोका जा सकता है तो ये खबर पढ़िए।
साइंटिफिक जर्नल फिजिक्स ऑफ़ फ्लूड्स (Physics of Fluids) के अनुसार, शोधकर्ताओं ने परीक्षण किया कि कैसे पांच अलग-अलग प्रकार के मास्क मटेरियल खांसी या छींकने पर कोरोनोवायरस ड्रॉप्लेट्स के प्रसार को प्रभावित करते है।
प्रत्येक मटेरियल परीक्षण करने पर संक्रमण फैलाने वाली बूंदों की संख्या को कम कर देता है। हालांकि, 6 फीट से कम की दूरी पर बीमारी पैदा करने के लिए पर्याप्त बूंदें कई मास्क मटेरियल से आसानी से निकल गयी।
परीक्षण करने के लिए शोधकर्ताओं ने विश्वविद्यालय में एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो मानव खांसी और छींक की नकल करने के लिए एक एयर जनरेटर का इस्तेमाल करती थी।
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जनरेटर का उपयोग कैमरे वाली एक एयरटाइट ट्यूब में लगी लेजर शीट से छींक और खांसी की छोटी हवाई बूंदों को उड़ाने के लिए किया गया।
शोधकर्ताओं ने टेस्ट किए कई मास्क
उन्होंने पांच अलग-अलग प्रकार के मास्क सामग्रियों से ट्यूब में बूंदों के प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया।
इन सामग्रियों में एक नियमित कपड़े का, एक दो-लेयर के कपड़े का, एक गीला दो-लेयर वाले कपड़े का, एक सर्जिकल मास्क, और एक मेडिकल-ग्रेड एन-95 मास्क शामिल था।
प्रत्येक मास्क ने अधिकांश बूंदों को रोक लिया। इनमे रेगुलर कपडे के मास्क ने लगभग 3.6% बूंदों को और एन -95 मास्क ने 100% बूंदों को रोका।
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बिना फेस मास्क संभव नहीं कोरोना से बचाव
लेकिन 6 फीट से कम की दूरी पर बूंदों का छोटा सा प्रतिशत भी किसी को बीमार करने के लिए पर्याप्त हो सकता है, खासकर अगर COVID-19 वाले व्यक्ति को कई बार छींक या खांसी होती है।
एक अकेली छींक 200 मिलियन छोटे वायरस कणों को ले जा सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वाहक कितना बीमार है।
लेकिन अगर एक मास्क उन कणों का एक बड़ा प्रतिशत रोकता है तो इससे किसी को भी बीमार होने से बचाया जा सकता है, भले ही वह व्यक्ति वाहक के करीब हो।
बिना फेस मास्क के यह लगभग तय है कि कई बाहरी बूंदें बीमारी को अतिसंवेदनशील व्यक्ति तक स्थानांतरित कर देंगी। इसलिए यदि संभव हो तो आमने-सामने या नजदीक से बातचीत करने को कम या बचने की कोशिश की जानी चाहिए।
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