Negative effects of social media: सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल करने वाले युवाओं को डिप्रेशन होने की संभावना अधिक होती है।
अरकंसास विश्वविद्यालय में पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ ब्रायन प्राइमैक के नए अध्ययन के अनुसार, सोशल मीडिया (Social media) को प्रतिदिन 120 मिनट से कम उपयोग करने वालों की तुलना में प्रतिदिन 300 मिनट से अधिक उपयोग करने वाले युवाओं में ऐसा होने की संभावना दुगुने से ज्यादा थी।
सोशल मीडिया के उपयोग और अवसाद (depression) के बीच संबंध दिखाने वाला यह पहला बड़ा अध्ययन है। इसके 18 से 30 साल के 1,000 से अधिक अमेरिकी वयस्कों से सवाल-जवाब किया गया।
विशेषज्ञों ने उनके डिप्रेशन को मापा और फेसबुक, ट्विटर, रेडिट, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफार्मों पर बिताने वाले समय के बारे में भी पूछा।
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उनके अनुसार, सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताना के पीछे व्यक्तिगत संबंधों, प्रोफेशनल लक्ष्यों को प्राप्त करने या यहां तक कि कीमती क्षणों को ज्यादा महत्वपूर्ण बनाना – ये सब दिखाने के लिए हो सकता है।
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सोशल मीडिया को अक्सर सकारात्मक छवि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह स्वयं की पहचान विकसित करने वाले उन युवाओं के लिए विशेष रूप से कठिन हो सकता है।
अध्ययन के निष्कर्षों का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अवसाद (depression) को विकलांगता (disability) के प्रमुख वैश्विक कारण के रूप में घोषित किया था।
अध्ययन के लेखक डॉ प्राइमैक का कहना है कि COVID -19 के समय में ये निष्कर्ष विशेष रूप से विचार करने लायक है।
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“अब जबकि व्यक्ति के लिए सामाजिक रूप से जुड़ना मुश्किल हो गया है, तो हम सभी सोशल मीडिया जैसी टेक्नोलॉजी का अधिक उपयोग कर रहे है। फिर भी लोगों को सोचना चाहिए कि कौन सी टेक्नोलॉजी उनके लिए वास्तव में उपयोगी है और कौन सी नहीं।”