नई अंतर्राष्ट्रीय स्टडी ने स्टैटिन उपयोग से एक प्रकार के कैंसर पीड़ित मरीजों का जीवन सुरक्षित बताया है।
यह स्टडी यूएई, यूएस और ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।
टीम ने क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) या लघु लिम्फोसाइटिक लिम्फोमा (SLL) कैंसर के शुरुआत इलाज में कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली स्टैटिन (Statin) लेने से मौत का खतरा 61% कम पाया।
स्टैटिन की बजाए इब्रुटिनिब (Ibrutinib) दवा से उपचारित उपरोक्त कैंसर के मरीजों को यह स्वास्थ्य लाभ नहीं मिला।
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ल्यूकेमिया का सबसे आम रूप CLL एक धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है। यह खून और बोन मेरो (Bone marrow) को प्रभावित करता है।
SLL भी ऐसा ही एक कैंसर है, लेकिन यह खून बनाने वाली कोशिकाओं के बजाय तिल्ली (Spleen) जैसे लिम्फोइड टिश्यू में शुरू होता है।
पिछली स्टडीज़ ने स्टैटिन के उपयोग को CLL सहित कई कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में कमी से जोड़ा है।
हालाँकि, उन स्टडीज ने इब्रुटिनिब से उपचारित रोगियों में स्टैटिन के प्रभावों का विश्लेषण नहीं किया था।
वर्तमान स्टडी में, टीम ने वर्ष 2012 और 2019 के बीच आयोजित चार अंतर्राष्ट्रीय क्लिनिकल ट्रायल में शामिल CLL या SLL के 1,467 रोगियों का विश्लेषण किया था।
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उन परीक्षणों में रोगियों का उपचार इब्रुटिनिब या अन्य एंटी-कैंसर दवाओं द्वारा किया गया था।
चार नैदानिक परीक्षणों में उपचार शुरू करने के समय कुल 424 रोगी स्टैटिन ले रहे थे।
औसतन 65 वर्षीय रोगियों में से 92% को CLL था, जिनमें से 66% पुरुष थे।
उनमें से कुछ कैंसर के नए मरीज थे। कुछ को दोबारा या पिछले कैंसर उपचार से कोई लाभ नहीं हुआ था।
परिणामों से पता चला कि स्टैटिन लेने वाले रोगियों में कैंसर से मरने का जोखिम औसतन 61% कम था।
उन्हें किसी भी कारण से मौत और बीमारी के बढ़ने का जोखिम भी क्रमश: 38 और 26% कम हुआ था।
महत्वपूर्ण बात रही कि स्टैटिन उपचार से गंभीर दुष्प्रभावों की संभावना में वृद्धि नहीं हुई थी।
हालांकि टीम ने वर्तमान नतीजों के आधार पर ही CLL/SLL उपचार हेतु स्टैटिन लेने की सलाह नहीं दी।
भविष्य में बड़े परीक्षणों द्वारा यह निश्चित करना पड़ेगा कि स्टैटिन कैंसर से बचने में वाकई असरदार है या नहीं।
यह स्टडी ब्लड एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुई थी।
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