सफेद चावल की बजाए भूरे चावल (Brown rice) का सेवन स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है।
लेकिन यूएस की एक रिसर्च ने इस बारे में चौंकाने वाला जानकारी दी है।
जानकारी के बाद लोग भूरे की बजाय सफेद चावल ज्यादा खाने की सोच सकते है।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च ने सफेद की अपेक्षा भूरे चावल में आर्सेनिक और प्राकृतिक आर्सेनिक की मात्रा अधिक कही है।
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अमेरिकी चावलों की जांच में, जहरीला आर्सेनिक वयस्कों की बजाए शिशुओं एवं बच्चों के लिए अधिक हानिकारक था।
ऐसा वयस्कों की तुलना में बच्चों द्वारा अधिक चावल खाने से संभव माना गया।
भूरे चावल के आर्सेनिक से स्वास्थ्य समस्याओं का पनपना वर्षों तक रोजाना अत्यधिक सेवन से मुमकिन था।
आर्सेनिक ऐसा जहरीला केमिकल है, जो मिट्टी और खनिजों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
अन्य अनाजों की तुलना में चावल में आर्सेनिक की मात्रा लगभग 10 गुना अधिक होती है।
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ऐसा इसलिए है क्योंकि चावल को लगातार जलमग्न रहने वाले खेतों में उगाया जाता है।
गीली मिट्टी के कारण, आर्सेनिक मिट्टी से पौधों में आसानी से जा सकता है।
भूरे चावल के पोषण संबंधी लाभों के बावजूद, अमेरिका और दुनिया भर में सफेद चावल की ज्यादा खपत है।
कुछ आबादी चावल की अधिक खपत या आर्सेनिक के प्रति कमजोर होने के कारण जल्द बीमार पड़ जाती है।
उनमें खासकर छोटे बच्चे, एशियाई अप्रवासी और खान-पान की कमी से जूझने वाली आबादी शामिल है।
रिसर्च किए गए अमेरिकी चावलों में से सफेद चावल में अधिक जहरीले आर्सेनिक का अनुपात 33%, जबकि भूरे में 48% था।
जबकि अन्य देशों के चावलों में, सफेद चावलों के 53% और भूरे चावल के 65% हिस्से में जहरीला आर्सेनिक था।
रिसर्चर्स ने छ महीने के शिशुओं और पांच वर्ष से कम के बच्चों को भूरे चावल के आर्सेनिक से ज्यादा हानि कही।
बता दें कि केमिकल की अपेक्षा प्राकृतिक आर्सेनिक कम विषैला होता है, क्योंकि यह शरीर से आसानी से निकल जाता है।
रिसर्चर्स ने भूरे चावल को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या केवल सफेद चावल खाने को नहीं कहा है।
भूरे चावल में फाइबर, प्रोटीन और नियासिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जो सभी इंसानों के लिए लाभकारी है।
इस बारे में और रिसर्च से ही सटीक जानकारी मिलने की बात कही गई है।
गौरतलब है कि जीवन भर आर्सेनिक के लगातार संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
भूरे चावल आर्सेनिक का एक प्रमुख स्रोत है, यह बात खाने वालों को ज़रूर पता होनी चाहिए।
इस बारे में Risk Analysis जर्नल में छपी रिपोर्ट से पता चला है।
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