बीमारियों को पैदा करने वाली सूजन इंसुलिन और ब्लड शुगर बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
लगातार खराब इंसुलिन और शुगर से टाइप 2 डायबिटीज और अन्य बीमारियों का विकास होता है।
हाल में हुई यूएस की एक स्टडी ने आम खाने से इंसुलिन हॉर्मोन के स्वास्थ्य में सुधार बताया है।
स्टडी विशेषज्ञों ने रोजाना आम खाने से अधिक वजन वालों की इंसुलिन सेंसिटिविटी में वृद्धि जानी है।
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इंसुलिन सेंसिटिविटी में वृद्धि से उनके हाई ब्लड शुगर लेवल में भी कमी देखी गई है।
हालांकि, ये लाभ कम-स्तर की सूजन वाले अधिक वजन या मोटापा पीड़ितों में ही पाए गए है।
इस नई स्टडी में 20 से 60 वर्ष की आयु के 48 वयस्कों को शामिल किया गया था।
अन्य भोजन से समान कैलोरी खाने वालों की अपेक्षा ताजे आम खाने वालों की सूजन और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार था।
चार सप्ताह बाद, अन्य भोजन खाने वालों की अपेक्षा आम खाने वालों का स्टडी की शुरुआत के मुकाबले इंसुलिन ज्यादा स्वस्थ था।
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आम खाने वालों में इंसुलिन हॉर्मोन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं की क्षमता भी काफी सुधरी हुई थी।
आश्चर्यजनक रूप से, आम खाने के बावजूद मोटापा पीड़ितों के शरीर की संरचना स्थिर रही।
ये निष्कर्ष उन पिछली खोजों को दोहराते मिले, जिनमें आम खाने से वजन नहीं बढ़ने की जानकारी दी गई थी।
नई स्टडी ने प्रतिदिन दो कप आम खाने से अधिक वजन या मोटापे वालों की इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार बताया है।
इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार Nrf-2 जीन के सक्रिय होने और सेलुलर एंटीऑक्सीडेंट स्थिति में वृद्धि से संभव माना गया।
कुल मिलाकर, ताजे आम खाने से अधिक वजन वाले या मोटापे वालों के इंसुलिन में सुधार और डायबिटीज जोखिम कम हो सकता है।
ये नतीजे ब्लड शुगर, वजन कंट्रोल और निरोगी रहने में ताजे फलों, खासकर आम के महत्व को और मजबूत करते हैं।
यह स्टडी न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित हुई थी।
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