शरीर में जमा ज्यादा चर्बी कई बीमारियों का कारण है, यह कहना है यूएस के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का।
उनकी नई स्टडी में, मांसपेशियाँ में जमा चर्बी (Intermuscular fat) अधिक वजन के बिना भी दिल के लिए हानिकारक मिली है।
विशेषज्ञों ने मांसपेशियों में जमा फैट से हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, या अस्पताल में भर्ती का जोखिम अधिक पाया है।
बता दें कि फैट भरी मांसपेशियों से दिल की बीमारियां बताने वाली यह पहली स्टडी है।
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नतीजों की मानें तो बॉडी मास इंडेक्स या कमर का माप दिल के रोगों का सही खतरा नहीं बताते है।
वैसे तो हमारे शरीर में कई तरह का फैट होता है, लेकिन ज़रूरी अंगों पर चढ़ी चर्बी अधिक हानिकारक है।
स्टडी में 63 वर्ष के 669 लोग शामिल थे। उनमें अधिकांश (70%) महिलाएँ थीं।
बिना किसी हार्ट डिजीज वाले उन लोगों पर विशेषज्ञों ने लगभग छ साल तक नजर बनाए रखी।
मांसपेशियों में अधिक फैट वालों को दिल की बीमारी से अस्पताल में भर्ती होने या मरने की ज्यादा संभावना थी।
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गहन जांच के बाद, मांसपेशियों में 1% फैट वृद्धि से उन्हें दिल की बीमारियों का खतरा 2% अधिक पाया गया।
अन्य कारणों और BMI के असर से परे, उन्हें भविष्य में दिल के गंभीर रोग होने का खतरा 7% ज्यादा था।
मांसपेशियों में बढ़ती चर्बी और दिल की बीमारियों वालों को हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और असमय मौत का विशेष रूप से उच्च जोखिम था।
उनके विपरीत, स्वस्थ मांसपेशियों की अधिक मात्रा वालों को बढ़ती उम्र के बावजूद कम खतरा था।
नतीजों में त्वचा के नीचे जमा फैट (subcutaneous fat) से दिल या स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं पाया गया।
ऐसे फैट की अपेक्षा मांसपेशियों में जमा चर्बी को सूजन और खराब ब्लड ग्लूकोज का कारण माना गया।
इससे मोटापा बढ़ता है और दिल तक खून तथा ऑक्सीजन पहुचाने वाली नसें अस्वस्थ हो जाती है।
समस्या से बचाव में असरदार पोषण, एक्सरसाइज, दवाओं या सर्जरी की खोजबीन की जा रही है।
अधिक जानकारी यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपी स्टडी से मिल सकती है।