चीनी से भरे ड्रिंक्स (sugar-sweetened beverages) टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों में वृद्धि कर रहे है।
यह चेतावनी दी है अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा की गई एक नई स्टडी ने।
स्टडी में चीनी से मीठे किए गए ड्रिंक्स पीने के कारण दुनिया भर में हर साल डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर रोग के क्रमश: 22 लाख व 12 लाख नए मामले बताए गए है।
184 देशों की जांच में विशेष रूप से कोलंबिया, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका बुरी तरह प्रभावित मिले।
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कोलंबिया में सभी नए डायबिटीज मामलों में से 48% से ज्यादा मीठे ड्रिंक्स पीने के कारण थे।
मैक्सिको में डायबिटीज के सभी नए मामलों में से लगभग एक तिहाई मीठे ड्रिंक्स के सेवन से जुड़े थे।
दक्षिण अफ्रीका में डायबिटीज के 27.6% नए मामले और हृदय रोग के 14.6% मामले उपरोक्त ड्रिंक्स के कारण थे।
महिलाओं की तुलना में पुरुषों और बुजुर्गों की अपेक्षा युवाओं में मीठे ड्रिंक्स की खपत बढ़ने से मामलों में वृद्धि की अधिक संभावना थी।
स्टडी में देशों के विकास और आय बढ़ने से आबादी में मीठे ड्रिंक्स अधिक सुलभ और वांछनीय पाए गए।
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बता दें कि चीनी से बने मीठे ड्रिंक्स तेजी से पचने के कारण खून में ब्लड शुगर स्तर बढ़ाते है।
समय के साथ इनका नियमित सेवन वजन में बढ़ोतरी करने लगता है जिससे इंसुलिन कमजोर हो जाता है।
नतीजन, दुनिया में जल्द मौत के दो प्रमुख कारण, टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारियां, पनपने लगते है।
विशेषज्ञों ने वैश्विक स्तर पर मीठे ड्रिंक्स का सेवन रोकने की तत्काल आवश्यकता कही है।
अन्यथा डायबिटीज और दिल की बीमारियों के बढ़ने से इंसानों का जीवन और भी कम हो जाएगा।
रोकथाम में सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान, मीठे ड्रिंक्स पर अधिक टैक्स और उनके विज्ञापन पर रोक की मांग है।
यूएस की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुई यह स्टडी नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुई थी।
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