अल्ज़ाइमर दिमाग की ऐसी बीमारी है जिससे सोचने, सीखने, समझने और याददाश्त जैसे कौशल खत्म हो जाते है।
दुनिया भर में मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद अभी तक इस रोग का कोई ठोस इलाज नहीं मिला है।
अब इटली के वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर रोग उपचार के लिए नाक में स्प्रे से दी जाने वाली दवा बनाई है।
चूहों पर हुई रिसर्च में उन्होंने पाया कि स्प्रे-दवा ‘2-bromopalmitate’ दिमाग में एक खास एंजाइम रोक सकती है।
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यह प्रक्रिया अल्जाइमर रोग से जुड़ी मानसिक कौशल कमी और दिमागी क्षति में लाभकारी हो सकती है।
वैज्ञानिक टीम ने अपनी रिसर्च जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित की है।
रिसर्च के दौरान, वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर रोगियों के पोस्ट-मॉर्टम दिमाग का निरीक्षण किया था।
उन्होंने मृत दिमाग में S-acyltransferase नामक एक एंजाइम की अधिकता जानी।
इस एंजाइम की अधिकता खराब मानसिक कौशल प्रदर्शन से जुड़ी पाई गई।
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माना गया कि S-acyltransferase को रोकना अल्जाइमर की नई दवाओं का लक्ष्य हो सकता है।
यह तो ज्ञात है कि अल्जाइमर रोग का विकास दिमाग में कुछ प्रोटीनों के परिवर्तन से होता है।
S-acyltransferase एंजाइम इन प्रोटीनों को ‘S-palmitoylation’ प्रतिक्रिया से बदलने लगता है।
कई स्टडीज में S-palmitoylation परिवर्तित प्रोटीन डायबिटीज से पैदा मानसिक क्षमता में कमी के पीछे देखे गए है।
ताजा रिसर्च में, S-acyltransferase एंजाइम रोकने में नाक-स्प्रे की दवा ‘2-bromopalmitate’ सफल मिली है।
इससे न्यूरोडीजनरेशन रोकथाम, लक्षणों में कमी और चूहों के जीवनकाल में वृद्धि भी जानी गई है।
जानकरों की राय में यह रिसर्च अल्जाइमर रोग के लिए नए उपचार विकल्पों की संभावना जगाती है।
उम्मीद है कि नाक-स्प्रे दवा चूहों के बाद इंसानों में भी मस्तिष्क क्षति और घटती क्षमताओं को रोक पाएगी।