एक हालिया स्टडी ने PM2.5 प्रदूषण की अधिकता से सिर और गर्दन कैंसर के मामलों में उछाल बताया है।
ये प्रदूषक कण पावर प्लांट, कारखानों, डीजल-पेट्रोल इंजन, वाहन टायरों, धूल-मिट्टी, भवन निर्माण आदि से निकलते हैं।
स्टडी में, सिर और गर्दन के कैंसर का संबंध सांस के जरिए शरीर में घुसे उपरोक्त कणों से पाया गया है।
PM2.5 प्रदूषक कणों की अधिकता धीरे-धीरे हमारे सिर और गर्दन की परत पर दुष्प्रभाव डालने लगती है।
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स्टडी रिसर्चर्स ने ऐसे बहुत से मामले देखे जहाँ कैंसरजनक PM2.5 शरीर में पहुँचते या जमा होकर कैंसर करते है।
स्टडी में वेन स्टेट यूनिवर्सिटी, जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और मास जनरल ब्रिघम के रिसर्चर्स शामिल थे।
उन्होंने साल 2002 से 2012 तक के राष्ट्रीय कैंसर डेटाबेस से मिले डेटा का उपयोग किया था।
टीम ने सिर और गर्दन के कैंसर से जुड़े मामलों का विभिन्न प्रदूषण कणों के जोखिम से उच्चतम संबंध देखा।
खासकर PM2.5 के अति महीन प्रदूषक कणों ने सिर और गर्दन कैंसरों के मामलों में अधिक बढ़ोतरी की।
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बता दें कि नाक और गला फिल्टर के रूप में कार्य करते हैं और किसी भी प्रदूषक कण को फेफड़ों में नहीं जाने देते।
लेकिन बड़े कणों की अपेक्षा PM2.5 प्रदूषण कण सांस के रास्ते शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करते हैं।
रिसर्च टीम के अनुसार, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और इंसानी स्वास्थ्य का एक अटूट संबंध है।
इसलिए सिर और गर्दन के कैंसर सहित अन्य कैंसरों का विकास रोकने के लिए हवा में तुरंत सुधार की आवश्यकता है।
इस बारे में और जानकारी साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में छपी स्टडी से मिल सकती है।