Screen use for better sleep: युवाओं में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के ज्यादा इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
लेकिन सोने से पहले देर तक स्मार्टफोन (Smartphone) देखना युवाओं की नींद (Sleep) खराब करता है।
वर्तमान नींद संबंधी दिशा-निर्देश रात को सोने से एक या दो घंटे पहले स्क्रीन (Screen) न देखने की सलाह देते हैं।
लेकिन न्यूजीलैंड के रिसर्चर्स ने ऐसी आदत से युवाओं की नींद पर बहुत कम प्रभाव पाया है।
- Advertisement -
उनके अनुसार, असली समस्याएँ बिस्तर पर जाने के बाद डिवाइस स्क्रीन के उपयोग से होती हैं।
इस स्टडी में एक हफ्ते के लिए 11 से 14 वर्ष के 85 किशोरों को शामिल किया गया था।
उन्होंने सोने के तीन घंटे पहले से लेकर बिस्तर पर जाने तक अपनी छाती पर बॉडी कैमरा पहना।
बॉडी कैमरा द्वारा स्क्रीन का उपयोग कब, क्यों और कैसे किया गया, ये सब जाना गया।
साथ ही, बेडरूम में स्क्रीन उपयोग का समय जानने के लिए एक दूसरा इन्फ्रारेड कैमरा भी रखा गया।
- Advertisement -
इसके अलावा, सभी युवाओं ने नींद को मापने के लिए एक घड़ी के आकार का उपकरण भी पहना।
जांच में पता चला कि 99 प्रतिशत युवाओं ने सोने से पहले दो घंटे तक स्क्रीन का उपयोग किया।
हालांकि, बिस्तर पर जाने से पहले देखे गए स्क्रीन का उस रात की नींद पर बहुत कम प्रभाव पड़ा।
नतीजों ने बताया कि बिस्तर पर जाने के बाद स्क्रीन देखने में बीते टाइम ने उनकी नींद को ज्यादा खराब किया।
इसने उन्हें लगभग आधे घंटे तक सोने से रोका और उस रात उनकी नींद की अवधि को भी कम कर दिया।
ऐसा हानिकारक असर खासकर एक से अधिक डिवाइस को एक ही समय पर इस्तेमाल करने से पाया गया।
आसान शब्दों में, यह गेमिंग डिवाइस Xbox पर खेलते समय लैपटॉप पर नेटफ्लिक्स की मूवी देखने जैसा था।
ऐसे स्क्रीन टाइम के हर अतिरिक्त 10 मिनट ने उस रात उनकी नींद को लगभग उसी मात्रा में कम कर दिया।
यह देखते हुए रिसर्चर्स ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को बेडरूम से बाहर रखने की सलाह दी।
इससे किशोरों को नींद के लिए बिस्तर पर जाने के बाद अपने डिवाइस को इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिलेगा।
ओटागो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की यह स्टडी JAMA Pediatrics जर्नल में प्रकाशित हुई थी।