Fish oil supplements: यदि आपके दिल की सेहत (heart health) अच्छी है तो रोजाना मछली के तेल युक्त सप्लीमेंट लेने से परहेज करें।
ऐसा ना करने से स्वस्थ दिल वालों को हृदय रोग (heart disease) और स्ट्रोक (stroke) का खतरा घटने के बजाय बढ़ सकता है।
यह हैरान करने वाली जानकारी कई देशों के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की साझा स्टडी में मिली है।
हालांकि स्टडी ने फिश ऑयल (Fish oil) से खराब हृदय स्वास्थ्य में धीमा सुधार व मौत का कम भी खतरा कहा है।
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बता दें कि फ़िश ऑयल में ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) की गुणकारी मात्रा अधिक होती है।
ओमेगा 3 को हृदय रोग विकास रोकने के लिए रोगियों के भोजन में शामिल करने की सलाह दी जाती है।
ताज़ा जानकारी यूके बायोबैंक स्टडी से जुड़े 40 से 69 वर्षीय 415,737 पुरुषों व महिलाओं के मेडिकल रिकॉर्ड से मिली है।
इस डेटा का उपयोग करके मार्च 2021 के अंत तक सभी इंसानों के स्वास्थ्य पर नज़र रखी गई थी।
लगभग एक तिहाई (130,365) इंसानों ने आहार में नियमित रूप से मछली के तेल का सेवन बताया था।
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विश्लेषण में बिना किसी हृदय रोग के रोज़ाना फ़िश ऑयल लेने से असामान्य धड़कन (atrial fibrillation) और स्ट्रोक का अधिक खतरा था।
फ़िश ऑयल सेवन से एट्रियल फाइब्रिलेशन (atrial fibrillation) और स्ट्रोक होने का जोखिम क्रमश: 13% तथा 5% बढ़ गया था।
लेकिन नियमित फ़िश ऑयल सेवन से हृदय रोग पीड़ितों के कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य पर लाभकारी असर पड़ा था।
मछली के तेल के नियमित सेवन से उनमें असामान्य दिल की धड़कन से हार्ट अटैक का जोखिम 15% कम था।
इसके अलावा, हृदय रोग पीड़ितों की हार्ट फेलियर से मौत होने का जोखिम 9% कम था।
स्वस्थ दिल वालों को मछली तेल के नियमित सेवन से हार्ट अटैक, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर का अधिक खतरा था।
मछली तेल सेवन से स्वस्थ महिलाओं व नॉन-स्मोकर्स में 6% अधिक खतरा था, जबकि पुरुषों (7%) और बुजुर्गों में (11%) कम था।
हालांकि, फ़िश ऑयल की सही खुराक, गुणवत्ता, या खतरे संबंधी कारणों का सटीक पता नहीं चल पाया।
इसके अलावा, उपरोक्त नतीजे विभिन्न देशों की आबादी, नस्ल और अन्य जातीयों पर भी लागू नहीं होते हैं।
विशेषज्ञों को फ़िश ऑयल के नियमित उपयोग से हृदय रोग के विकास और पूर्वानुमान बताने वाले सटीक तंत्र का पता नहीं चला है।
इस बारे में विस्तार से ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट पढ़ी जा सकती है।
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