एक नई स्टडी ने एंटीबायोटिक दवाओं के घटते असर (Antibiotic resistance) के लिए बढ़ते वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया है।
स्टडी की मानें तो हानिकारक वायु प्रदूषण (Air pollution) पर अंकुश लगाने से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कम हो सकता है।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस में रोगजनक विषाणु बचावकारी दवाओं के विरुद्ध ताकतवर बन जाते है।
नतीजन, रोगाणु मारे नहीं जाते बल्कि बढ़ते रहते हैं। इससे बीमारियों का इलाज करना कठिन या असंभव हो जाता है।
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यह जानकारी चीन और यूके की यूनिवर्सिटीज़ के वैज्ञानिकों ने गहन छानबीन के बाद द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में दी है।
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वायु प्रदूषण कंट्रोल करके एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से होने वाली मौतों व आर्थिक लागत में काफी कमी का अनुमान है।
इस बारे में अधिक जानकारी वर्ष 2000 से 2018 तक 116 देशों के विशाल डेटा विश्लेषण से मिली है।
यह डेटा एंटीबायोटिक इस्तेमाल, हेल्थ, साफ़-सफाई, जनसंख्या, मौसम, वायु प्रदूषण आदि से संबंधित है।
डेटा को निगरानी डेटाबेस, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी एवं विश्व बैंक से प्राप्त किया गया है।
नौ रोगज़नक़ विषाणु व 43 एंटीबायोटिक की जांच ने पीएम2.5 के दूषित कणों में वृद्धि से एंटीबायोटिक बेअसर में तेजी कही है।
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दूषित हवा से अस्पताल, फार्म और सीवेज गंदगी के माध्यम से दूर तक एंटीबायोटिक प्रतिरोधी कणों का प्रसार मिला है।
वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण में प्रत्येक 1% वृद्धि से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस में 0.5 व 1.9% के बीच वृद्धि बताई है।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में सर्वाधिक, जबकि यूरोप व उत्तरी अमेरिका में कम मिली है।
चीन और भारत में पीएम2.5 परिवर्तन से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी असामयिक मृत्यु दर अधिक प्रभावित जानी गई है।
विश्लेषण ने वायु प्रदूषण से उत्पन्न एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से 2018 में अनुमानित 480,000 असामयिक मौतें बताई है।
पीएम2.5 एंटीबायोटिक बेअसर करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। इससे विश्व में औसत प्रतिरोध स्तर 11% तक हुआ है।
वायु प्रदूषण न सुधारने से 2050 तक दुनिया भर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस स्तर 17% तक बढ़ सकता है।
इससे अकेले उप-सहारा अफ्रीका में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी वार्षिक असमय मौतें लगभग 840,000 तक बढ़ जाएगी।
यह समस्या स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि, वायु प्रदूषण कंट्रोल, पीने के पानी में सुधार और एंटीबायोटिक उपयोग घटाने से सुधर सकती है।
वातावरण में PM2.5 को 5 μg/m3 तक सीमित करने से 2050 तक वैश्विक एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस में 17% की कमी आ सकती है।
नतीजन, रेजिस्टेंस से जुड़ी असमय मौतों में 23% की कमी (630,000 कम मौतें) और 640 अरब डॉलर की वार्षिक आर्थिक बचत होगी।