अनियमित नींद के ढंग (Irregular sleep patterns) से आंतों पर भी बुरा असर पड़ सकता है, ऐसा एक स्टडी ने बताया है।
स्टडी में, हफ़्ते भर की नींद के समय में छोटा सा बदलाव भी स्वस्थ आंत बैक्टीरिया (Gut microbial) पर भारी मिला है।
यूएस, यूके, इटली आदि देशों के वैज्ञानिकों की यह साझा स्टडी, यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई है।
इसमें कार्य व अवकाश दिनों के बीच सोने-जागने और आहार में बदलाव से आंत बैक्टीरिया पर दुष्प्रभाव बताया गया है।
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नतीजों में, सोने-जागने के समय में 90 मिनट का अंतर भी माइक्रोबायोम को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करता मिला है।
यह दुष्प्रभाव बॉडी क्लॉक बिगड़ने से हो सकता है। इससे अधिक वज़न, हृदय समस्याएं और डायबिटीज का खतरा भी संभव है।
टीम के अनुसार, सोने की आदतों में छोटे उतार-चढ़ाव भी शरीर की घड़ी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते है।
देखा गया है कि अक्सर कामकाजी लोग कार्यदिवसों पर जल्दी जागते हैं, लेकिन छुट्टी के दिन देर तक सोते है।
यही नहीं, छुट्टी के दिन उनके आहार की गुणवत्ता में भी भारी कमी रहती है, जिससे आंत बैक्टीरिया प्रभावित होते है।
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इस बारे में ज़्यादा जानकारी एक न्यूट्रिशनल स्टडी में भर्ती हुए 934 लोगों के हेल्थ डाटा से प्राप्त की गई थी।
वैज्ञानिकों ने अनियमित नींद वालों के खून, मल, ग्लूकोज और आंत बैक्टीरिया की तुलना नियमित नींद लेने वालों से की।
दोनों तरह के लोगों के सोने और जागने में 90 मिनट के अंतर से आंत बैक्टीरिया में भी बदलाव पाया गया।
अनियमित नींद का संबंध आहार गुणवत्ता में कमी, मीठे ड्रिंक्स के अधिक और फलों-मेवों के कम सेवन से जुड़ा था।
वैज्ञानिकों ने ऐसी आदतों से आंत में विशिष्ट माइक्रोबायोटा की प्रचुरता को सीधे तौर पर प्रभावित बताया।
अनियमित नींद वालों में मौजूद छह माइक्रोबायोटा प्रजातियों में से तीन की अधिकता सेहत को नुकसानदेह मिली।
ऐसी बैक्टीरिया प्रजाति मोटापे, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, डायबिटीज, और रक्त में सूजन संबंधित लक्षणों से जुड़ी बताई गई।
सभी दिनों में सोने-जागने का एक नियमित ढंग रखने से पेट के माइक्रोबायोम स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते है।
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